બુધવાર, 17 જાન્યુઆરી, 2018

तोगडिया विवाद - कही पे निगाहे, कही पे निशाना







तोगडिया विवाद - कही पे निगाहे, कही पे निशाना
डो.प्रवीन तोगडिया आजकल चर्चा में है, तोगडियाजी का चर्चा में रहना कोई नई बात नही । वह अपने तीखे तेवर के लीए जाने जाते है । फिल्मी स्टाइल में बोले तो उनका फेन क्लब उन्हे तल्ख मिजाजि कै लीए पसंद करता है ।
एसा क्या हुआ के तोगडिया गायब होने के बाद सीधे अस्पताल से मिले अौर उसके बाद उन्होने प्रेस वार्ता को संबोधित किया तो उनकी आंखो में धडधड आसु बहेने लगे । रोते हुए तोगडियाजी को जिसने देखा वह सन्न रह गया क्योिक उनकी छबी फायर ब्रांन्ड नेता की है, वह बरसो से उसी तरह पेश कि जा रही है । एसा नेता जो कभी रो पडेगा वह भी इस बात पर के कोई उनका एन्काउन्टर करना चाहता है ।
यह मामला किसी के समज में नहीं आ रहा क्या हो रहा है, क्यो हो रहा है .... एसे कइ सवाल लोगो के मन में उठ रहे है पर जवाब देने वाले कोइ दिख नहीं रहे ।
कइ पत्रकार इसे मोदी-तोगडिया के बीच के रिश्तो में आइ दरार बता कर अपनी ऐक्सपर्ट कोमेन्ट दे रहे है तो कइ अंदर के लोग भी इसी तरफ इशारा कर रहे है ।
पर क्या दो दोस्तो में इतनी भी दुश्मनी हो सकती है कि बात मरने - मारने की आ जाऐ ।
सीधी बात समजनी है तो आप को सहादत हसन मंटो के एक अफसाने की बात संक्षिप्त में कहता हूं, एक बार मन्टो ने ऐक अौरत को देखा वह उनके  की आंखो के कसीदे पढे उस मे डुब गऐ.. आखो की तारिफ करते रहे बाद में पता चला की उस आंखो में रोशनी न थी । वह निगाहे उन्हे देख ही नहीं रही थी वह मन में उसके कसीदे पढ रहे थे
इस बात को इस तरह समजना होगा कि कही पे निगाहे है अौर निशाना है
यानी के जो दीख रहा है बात उतनी सीधी नहीं है । दोनो तरफ से निशाना दिखाया गलत जा रहा है अौर निशाने पर कोइ अौर है ... 13 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहेते हुए उन्होने तोगडिया को परेशान नहीं किया तो अब क्यो करेगे, बात इतनी सीधी नहीं है, जितनी दिखती है । या तो तोगडियाने राजनीति की एसी बीसात बिछाइ है जिस में उनका गुजरात के मुख्यमंत्री बनने का सपना हो या फीर यह भी हो सकता है के, वो अपनी पसंद का सीअेम चाहते हो.. अगर यह बात होती तो विवाद चुनाव के पहेले सामने आते पर ऐसा नहीं हुआ... दुसरी तरफ ऐक कयास एसा भी है की... कोइ एसा कोइ विवाद है जिस में तोगडिया को फसाया जा सकता है यह बात उन्हे पता चल गइ हो.. वह उस विवाद से बचने के लिए पहेले से किनारा कर रहे है ।
 लेकिन बात तो यह है कि तोगडिया भले ही  मोदी पर निशाना लगा रहे हो पर वह मोदी पर नहीं है जिस पर है वह बखुबी जानता होगा ।

जिज्ञेश परमार, वरिष्ठ पत्रकार





1 ટિપ્પણી:

  1. पुरा मसला साफ नहीं है,संभावनाएं अनगीनत हैं,पर जिस तरह उलझे हुए,पेचीदा और रहस्यमय तरीके से एक के बाद एक कर सत्ता के दुश्मन या प्रतिद्वंदीओ पर जो तलवार लटक रही हैं,वो साफ ज़ाहिर करती हैं के सत्ताधिश किस कदर बिगडे दिल हो चुके हैं, वैसे मन्टो का अफसाना खुब रहा पर जचा नहीं।

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